ABSTRACT:
मूल्य को बाल्यावस्था के सामाजीकरण का परिणाम माना गया है , चूंकि संस्कृति विशेष में सामाजीकरण की एक मान्य परम्परा होती है जिसके कारण उस संस्कृति के सदस्यों के व्यक्तित्व उनके मूल्यों में समानता देखी जा सकती है . चूंकि भिन्न - भिन्न संस्कृतियों में सामाजीकरण भी अलग - अलग होता है इसीलिये उनके सदस्यों के बीच मूल्यों में पर्याप्त अन्तर होता है . वर्तमान सन्दर्भ महत्वपूर्ण है . तेजी से बदलते हुये परिवेश में मूल्यों में हो रहे परिवर्तन का अध्ययन एवं विश्लेषण एक महत्त्वपूर्ण कार्य है . प्रस्तुत अध्ययन में हिन्दू तथा मुसलमान संस्कृति के युवा तथा वृद्ध वर्ग के मूल्यों में भिन्नता का अध्ययन किया गया है . प्रस्तुत अध्ययन में शोध का महत्वपूर्ण बिन्दु यह था कि क्या हिन्दू तथा मुसलमान संस्कृति के युवा तथा वृद्ध प्रयोज्यों के विभिन्न कार्यों के नैतिक या अनैतिक मूल्य के रूप में प्रत्यक्षीकरण में अन्तर है. इस अध्ययन के लिये उच्च तथा निम्न आयु वर्ग के दोनों संस्कृति से ३०-३० प्रयोज्यों का चयन किया गया . युवा या वृद्ध वर्ग के आयु में दोनों संस्कृतियों के बीच कोई सार्थक अन्तर नहीं था . प्रयोज्यों पर “ कार्यों की नैतिकता " मापनी का प्रशासन किया गया . प्राप्त परिणाम से स्पष्ट है कि नैतिक कार्यों में कुछ पर संस्कृति , आयु तथा इनके अन्त : क्रिया का सार्थक प्रभाव प्राप्त हुआ है . ये हैं परिवार नियोजन , बंधुत्व की भावना , सामाजिक संस्कार , अन्तर्जातीय विवाह , अपराधी प्रवृत्ति का निवारण , इसी प्रकार अनैतिक कार्यों में वेश्यावृत्ति , धार्मिक स्थानों को नुकसान पहुंचाना , बन्धुवा मजदूरी , बाल विवाह , रिश्वतखोरी नशा करना , बेटिकट यात्रा करना , पक्षपात , जातिभेद , तथा झूठ बोलना पर संस्कृति , आयु तथा इनके अन्तः क्रिया का सार्थक प्रभाव प्राप्त हुआ है .
Cite this article:
शर्मा एवं सिंह (1994). संस्कृति तथा आयु के प्रकार्य के रूप में नैतिक तथा अनैतिक मूल्यों का अध्ययन. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 7(1), pp.87-99.