ABSTRACT:
कवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रभाषा को गुणवत्ता प्रदान करने वाले राष्ट्रीय चेतना एवं संस्कृति के गायक थे। स्वभाव से विनम्र, शिष्ट और वैष्णव थे। महात्मा गांधी के अनुयायी होने के कारण पतित उद्धार और नारी स्वतंत्रता के समर्थक थे। गुप्त जी सरल, लोक संग्रही, गुणग्राही, आशावादी, कर्मनिष्ठ, स्वदेश के अतीत गौरव के अभिमानी और उज्जवल भविष्य के स्वप्न दृष्टा थे।
कवि ने मानवीय समस्याओं के सार्वकालिक और वर्तमान स्वरूपों को सभी कोणों से देखा, परखा और विश्लेषित किया है एवं अपने युगानुरूप स्वस्थ और गंभीर चिंतन द्वारा एक सांस्कृतिक समाधान भी प्रस्तुत किये हैं। उनकी सांस्कृतिक दृष्टि आदर्शोन्मुख यथार्थवादी है। व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व सभी उनकी परिधि में आ जाते हैं। गुप्त जी ने अपने काव्य में पराधीनता का संत्रास, मध्ययुगीन संस्कृति की जड़ता, नारी की विवशता, दीनों का शोषण और उत्पीड़न तथा विश्वयुद्ध की विभिषिका के साथ-साथ स्वाधीनता का स्वागत किया। नवयुग का अभिनंदन और नव्य मानवता बोध, अंतर्राष्ट्रीयता के स्वर को भी अपने काव्यों में स्थान दिया। इस प्रकार वे राष्ट्रीय चेतना और संस्कृति के प्रणेता माने जाते हैं।
Cite this article:
तिवारी (2022). मैथिलीशरण गुप्त: राष्ट्रीय चेतना एवं संस्कृति के प्रणेता. Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 28(2), pp.38-40.DOI: https://doi.org/10.52228/JRUA.2022-28-2-5
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