ABSTRACT:
साहित्यकार हमेशा अपने युग के साथ जीता है , इसलिए उसका साहित्य भी युग का स्वच्छ दर्पण होता है । शरद जोशी के साहित्य दर्पण में पूरे देश की तमाम समस्याएं , विसंगतियों प्रतिबिंबित होती दिखाई देती है।शरद जोशी के व्यंग्यों में वह हर बात है , जो जीवन में है और जिससे आम आदमी का संबंध बना हुआ है । शरद जोशी और व्यंग्य वस्तुत एक - दूसरे के पूरक कहे जा सकते है , जिनका आज की जिंदगी से गहरा नाता है । प्रस्तुतं शोध पत्र में शरद जोशी जी के व्यंग्य साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान का वर्णन किया गया है ।
Cite this article:
शर्मा (2012). शरद जोशी का व्यंग्य क्षेत्र. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 17(1), pp.35-36.