ABSTRACT:
गिरीश पंकज के व्यंग्य समाज को सच्चाई का आईना दिखाने का कार्य एक सफाई कर्मी की तरह तो किया है, साथ ही एक डाॅक्टर की तरह उसका समाधान भी प्रस्तुत किया है। गिरीश पकंज के व्यंग्य साहित्य में समाज के आस-पास के अनुभुत विषय ही दृष्टि गोचर होते है। जिससे पाठक के मन में एक प्रश्न उठता है कि इस पाठ्य वस्तु में जो पात्र है, वह हमीं तो नहीं? इस प्रकार गिरीष पंकज के व्यंग्य हमे जीवतंता का एहसास भी कराते हैं और अपने आप को सुधार करने पर मजबूर भी करते है। इस प्रकार गिरीष पंकज ने अपने व्यंग्य व व्यंग्य साहित्य को एक दिशा प्रदान की है।
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ज्योति पाण्डेय; दुर्गा डडसेना, "गिरीश पंकज के व्यंग्य उपन्यास ‘पाॅलीवुड की अप्सरा’ व ‘माफिया’ में छत्तीसगढ़ी कहावत (लोकोत्तियों) ", Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 23(1), pp. 75-79.DOI: https://doi.org/10.52228/JRUA.2017-23-1-10
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