ABSTRACT:
इस शोध-पत्र का मुख्य उद्देश्य शोधार्थी, प्रबुद्ध-वर्ग एवं भाषाविज्ञान के विद्वानों का ध्यान सरगुजा क्षे़त्र में बोली जा रही एक ऐसी भाषा की ओर आकृष्ट करना हैं, जो अपने शब्द-भंडार, रूप-रचना आदि की दृष्टि से हिंदी एवं छत्तीसगढ़ी से निकटतम साम्य रखती हैं। पूर्व में यह क्षेत्र बीहड़ वन-प्रांतरों तथा आवागमन के साधनों के नितांत अभाव के कारण दुर्गम्य था। संपूर्ण सरगुजा क्षेत्र में सरगुजिया संपर्क- भाषा के रूप में व्यवहृत होती हैं। संक्षेप में, यहाँ सरगुजिया का नामकरण, क्षेत्र, भौगौलिक-स्थिति एवं भाविक विशेषताओं को प्रस्तुत किया गया हैं।
Cite this article:
दुबे (1990). छत्तीसगढ़ी की उत्तरी उपबोली: सरगुजिया. Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 3(1), pp.33-37.