ABSTRACT:
प्रस्तुत अध्ययन सरगुजा जिले में ग्रामीण शिशु मत्र्यता से संबंधित है। प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य सरगुजा जिले में ग्रामीण जनसंख्या में शिशु मत्र्यता की स्थिति का आकलन एवं उसको प्रभावित करने वाले आर्थिक कारकों का विश्लेषण करना है। प्रस्तुत अध्ययन प्राथमिक आँकड़ों पर आधारित है। इस हेतु दो प्रकार की अनुसूची का उपयोग किया गया है। प्रथम पारिवारिक और द्वितीय व्यक्तिगत अनुसूची। अध्ययन हेतु जिले से प्रतिचयन यादृच्छिक विधि के द्वारा 38 ग्रामों की 2691 विवाहित महिलाओं से सूचना एकत्र किया गया, जिन्होंने सर्वेक्षण वर्ष के अन्दर शिशु को जन्म दिया हो अथवा जिनकी एक वर्ष से कम उम्र के शिशु की मृत्यु अथवा मृत जन्म हुआ। इन महिलाओं से शिशुु मृत्यु तथा प्रभावित करने वाले आर्थिक कारकों से संबंधी सूचना एकत्र किया गया है। जिले में शिशु मत्र्यता दर 71.3 प्रति हजार है। जिले में शिशु मत्र्यता दर बालकों में 72.0 प्रति हजार तथा बालिकाओं में 65.4 प्रति हजार है। परिजन्म मत्र्यता दर 22.3 प्रति हजार, नवजात मत्र्यता दर 33.9 प्रति हजार तथा नवजातोत्तर मत्र्यता दर 37.4 प्रति हजार है। प्रस्तुत शोध पत्र में आर्थिक कारक के अंतर्गत माता-पिता का व्यवसाय, जोत का आकार एवं पारिवारिक आय शामिल है। भूमिहीन परिवारों में शिशु मत्र्यता दर सबसे अधिक 83.3 प्रति हजार है। लघु एवं सीमांत कृषक परिवारों में शिशु मत्र्यता दर 72.8 प्रति हजार, अर्द्ध मध्यम कृषक परिवार में 64.1 प्रति हजार, मध्यम कृषक परिवारों में 53.4 प्रति हजार और वृहद् कृषक परिवार में सबसे कम 47.6 प्रति हजार है। शिशु मत्र्यता दर अन्य श्रमिक (92.2 प्रति हजार), कृषि श्रमिक (81.9 प्रति हजार) और कृषकों (57.0 प्रति हजार) से अधिक है। शिशु मत्र्यता दर व्यापार और गृह उद्योग में संलग्न पति में क्रमशः 25.3 प्रति हजार और 19.2 प्रति हजार है। शासकीय सेवा में संलग्न पति में शिशु मत्र्यता दर (11.5 प्रति हजार) सबसे कम है। आय में वृद्धि के साथ शिशु मत्र्यता दर में क्रमशः कमी हुई है। अतः आर्थिक कारक शिशु मत्र्यता दर को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।
Cite this article:
सिंह, बघेल (2018). सरगुजा जिले में आर्थिक कारक एवं ग्रामीण शिशु मत्र्यता: एक भौगोलिक विश्लेषण. Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 24(1), pp.27-36.DOI: https://doi.org/10.52228/JRUA.2018-24-1-5