ABSTRACT:
विपणन भूगोल का मुख्य बिन्दु बाजार केन्द्र है। यथार्थ में बाजार केन्द्र स्थान की वह इकाई है जहाँ क्रेता-विक्रेताओं द्वारा अपेक्षित वस्तुओं तथा सेवाओं की विनिमय संबंधी गतिविधियाँ सम्पन्न होती हैं। “गार्नियर तथा डेलबेज“(1979) के अनुसार विपणन भूगोल के तीन आधारभूत तत्व हैं भिन्नता, इच्छा और दूरी इनके अनुसार भौगोलिक, आर्थिक तथा तकनीकी कारणों से उत्पन्न क्षेत्रीय भिन्नताएँ विपणन प्रक्रिया को जन्म देती हैं। विक्रेता की अपनी वस्तुएँ विक्रय करने तथा क्रेता की उन्हें क्रय करने की इच्छा विपणन की दूसरी महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इन दोनों के मध्य “दूरी“ विपणन प्रक्रिया का नियंत्रक तत्व है। जिला उत्तर बस्तर में कुल 129 छोटे-बड़े कालिक बाजार केन्द्र है। जिले के सभी सात तहसीलों में मैदानी क्षेत्र में सर्वाधिक बाजार केन्द्र है तथा पठारी क्षेत्रों में बाजार केन्द्रों की संख्या कम है। चारामा तहसील में सर्वाधिक 27 बाजार केन्द्र एवं सबसे कम दुर्गकोंदल तहसील में 8 बाजार केन्द्र हैं। इसी प्रकार कांकेर में 26, नरहरपुर में 22, भानुप्रतापपुर में 17, अंतागढ़ में 10 और पखांजूर तहसील में 19 बाजार केन्द्र स्थल हैं। अध्ययन क्षेत्र में सेवाप्राप्त ग्रामो की संख्या दूरी के अनुसार ज्ञात की गई है, जिसमें मैदानी क्षेत्रों में दूरी के अनुसार बाजार केन्द्रों की संख्या कम होती गई है। 5 कि.मी. से कम दूरी में सेवाप्राप्त ग्रामों की संख्या अधिक है एवं 10 कि.मी. से अधिक दूरी में सेवाप्राप्त ग्रामों की संख्या कम है। वहीं पठारी क्षेत्रों में 5 कि.मी. से कम दूरी में सेवाप्राप्त ग्रामों की संख्या कम है, 5-10 कि.मी. की दूरी में ज्यादा एवं 10 कि.मी. से अधिक दूरी में सेवाप्राप्त ग्रामों की संख्या कम प्राप्त हुई है। इसका मुख्य कारण पठारी क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी तथा नक्शलवाद है। अध्ययन क्षेत्र में सप्ताह के सभी दिन विपणन कार्य किया जाता है। जिसमें सर्वाधिक शुक्रवार 27 एवं गुरूवार को 21 बाजार केन्द्रांे में विपणन कार्य किया जाता है। जिले के सभी कालिक बाजार केन्द्रों का निकटतम् पड़ोसी बिन्दु विश्लेषण ज्ञात किया गया। जिसमें जिले की प्रत्याशित औसत दूरी 3.5 कि.मी. है, जिसके आधार पर त्द मान 0.94 जो यादृच्छिकता मूल्य के निकट है। जिले में तहसीलवार त्द मान ज्ञात किया गया है, जिसमें कांकेर तहसील में 0.86, चारामा 1.07, नरहरपुर 1.08, भानुप्रतापपुर 1.08, दुर्गकोंदल 1.04, अंतागढ़ 0.87 तथा पखांजूर तहसील में 0.88 त्द मान प्राप्त हुआ है जो यादृच्छिकता के निकट है एवं सभी तहसीलों में कालिक बाजार केन्द्रो का बिखराव पाया गया है। इस प्रकार उत्तर बस्तर जिले में भौगोलिक एवं सामाजिक-आर्थिक रूप से कालिक बाजारों की दूरी एवं वितरण प्रारूपों का प्रभाव कालिक बाजार केन्द्रो में देखा गया है।
Cite this article:
नारंग (2022). उत्तर बस्तर कांकेर जिले के कालिक बाजारः एक भौगोलिक विश्लेषण. Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 28(1), pp. 26-35.DOI: https://doi.org/10.52228/JRUA.2022-28-1-3