ABSTRACT:
बस्तर पर 1373 ई . से लेकर 1947 ई . तक काकतीय वंश के शासकों ने शासन किया । काकतीय नान की ठीक गुत्पत्ति अज्ञात है । कभी तो इसका संबंध काफ अर्थ पाले काफत शब्द से किया गया है और कभी दुर्गा के स्थानीय नाम के साथ । काकतीय तथा दोश्वरी के नामों के पीछे कुछ रहस्य है । किवदंती है कि काकतीय घराने के आदि पुरुष महाभारत कालीन पाण्डय थे दिल्ली की दुर्दशा के पश्चात् उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली । गुरू दोणाचार्य की शिष्य परम्परा के अनुसार उन्होंने अपने यश का नाम काकतीय रखा । संस्कृत में काफ ( कौ ) को दोण भी कहते है । इस नाम के कारण दोणीय परम्परा हुई . काकीय अथवा काकतीय । संस्कृत में हरती को दान्तीमा कहते हैं । इसीलिए हस्तिनापुर की अधिष्ठात्री देवी हस्तेश्वरी कहाने के बदले दांतेश्वरी कही गई । काकतीयों की गल्पभरी घश तालिका से , जिसमें रघुगुल के अनेक नाम मिलते हैं , विदित होता है कि काकतीय संभवत सूर्यवंशीय क्षत्रिय थे , परन्तु इसके विरुद्ध नेलोर जिले को अनेक अभिलेख उनको शुद्र कहते है ।
Cite this article:
खुटे (2012). बस्तर में काकतीय वंश-1313 ई.से 1800 ई.तक. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 17(1), pp.23-27.