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Author(s): आरती पाठक

Email(s): artipathak81@gmail.com

Address: सहायक प्राध्यापक , सहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला
पं . रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर (छत्तीसगढ़).

Published In:   Volume - 17,      Issue - 1,     Year - 2012

DOI: Not Available

ABSTRACT:
भाषा का ठीक - टीक ज्ञान न होने पर प्रस्तुतीकरण तथा सप्रेषण उचित तरीके से प्रस्तुत नहीं होता है । भाषा वर्तनी से प्रारंभ होती है , इसी कारण इसमें अक्षर , शब्द और वाक्य - रचनाओं का अध्ययन एवं अध्यापन क्रमबद्ध तरीके से किया जाना उत्तम माना जाता है । आज के परिवेश से तालमेल बैठाने के लिए . व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए , नए वैज्ञानिक तकनीकी से तादात्म्य स्थापित करने के लिए द्वितीय भाषाशिक्षण एवं द्वितीय भाषा का ज्ञान दोनों अत्यंत आवश्यक हो गया है । आज ग्लोबलाइजेशन के युग में द्वितीय भाषा की महत्ता एवं आवश्यकता को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता ।

Cite this article:
पाठक (2012). द्वितीय भाषाशिक्षण की उपयोगिता. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 17(1), pp.27-30.


References not available.

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