ABSTRACT:
वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में विद्यार्थियों को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है । विद्यार्थी वर्ष भर शैक्षणिक कार्यों के अत्यधिक बोझ से लदे होते है , जिससे वे मानसिक दबाव , तनाव एवं संघर्ष से घिर जाते है परिणामस्वरुप जल्दी ही मानसिक थकान का अनुभव करते है । बेहतर शैक्षणिक निष्पत्ति के लिए एकाग्रता , स्मृति , लगातार लंबे समय तक अध्ययनरत रहना एवं अच्छी ग्रहणशीलता की आवश्यकता होती है । इन क्रियाओ को बढाने के लिए तंत्रिकाओ का तेज गति के साथ , लंबे समय तक कार्य करना आवश्यक होता है । जब व्यक्ति मानसिक कार्य करता है तो उसकी नाड़ी तंत्र की कोशिकाओं में कुछ शारीरिक और रासायनिक परिवर्तन होते है साथ ही साथ ग्लाइकोजन का व्यय होता है । फलस्वरूप इस प्रकार की थकान का अनुभव व्यक्ति को मस्तिष्क के उच्य केन्द्रों में होता है । सरल शब्दों में तत्रिका कोशिकाओं के कार्यरत रहने में ग्लाइकोजन का व्यय और थकान के कारण विषाक्त पदार्थ बनते है । इन विषाक्त पदार्थों का संचय तत्रिका कोशिकाओं के जोड़ो पर होता है जिससे नाडी का आवेग अवरुद्ध हो जाता है और व्यक्ति थकान का अनुभव करता है । विभिन्न शोध अध्ययनों में पाया गया कि योग की विभिन्न क्रियायें जैसे प्राणायाम , ओंकार जाप , सूर्यनमस्कार , योगनिदा आदि विद्यार्थियों में एकाग्रता , ग्रहणशीलता , स्मृति को बढ़ाने में प्रभावी पाए गए हैं ।प्रस्तुत शोध में मानसिक थकान पर योग के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि योग का मानसिक थकान पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं ।
Cite this article:
बनर्जी (2011). माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की मानसिक थकान पर योग के प्रभाव का अध्ययन. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 16(1), pp.20-23.