Author(s):
अनुराया बघेल, तृप्ति राजपूत
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Address:
भूगोल अध्ययनशाला , पं . रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ( छ . ग .)
शोध छात्रा , भूगोल अध्ययनशाला, पं . रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ( छ . ग .).
Published In:
Volume - 16,
Issue - 1,
Year - 2011
DOI:
Not Available
ABSTRACT:
जोत का आधार शस्य प्रतिरूप एवं उत्पादन को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करता है । जोत के आकार का कृषक के जीवन स्तर से घनिष्ट धनात्मक सहसंबंध होता है । जोत के आकार पर कृषि का पैमाना , उत्पादन तकनीक , कृषि यंत्रो की संख्या तथा आका , यांत्रिक शक्ति निवेश की मात्रा और कृषि उत्पादन क्षमता निर्भर होते है ।जोत का आकार कृषि पद्धति के चुनाव की आधारभूत इकाई है । किसी भी क्षेत्र विशेष का कृषि प्रतिरूप उस क्षेत्र के जोत के औसत आकार , भौतिक आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक कारको के परस्पर प्रक्रिया के सम्मिलित प्रभावो का घोतक है । प्रस्तुत अध्ययन दुर्ग जिले में जोत के आकार में स्थानिक विभिन्नता एवं उसको प्रभावित करने वाले जानाकिकीय एवं सामाजिक आर्थिक कारको जो व्याख्या है । यह अध्ययन कृषि संगणमा 2000-01 पर अधारित है । अध्ययन के लिए दुर्ग जिले के 11 तहसीलों को इकाई माना गया है । 200-01 की कृषि संगणना के अनुसार दुर्ग जिले में सीमात कृषक ( 1 हेक्टेयर से कम ) 55.9 प्रतिशत, लघु कृषक ( 1-2 हेक्टेयर ) 22.5 प्रतिशत, अर्धमध्यम कृषक ( 2 -4 हेक्टेयर ) 13 .9 प्रतिशत, मध्यम कृषक ( 4 - हेक्टेयर ) 6 .6 प्रतिशत एवं वृहत कृषक (10 हेक्टेयर से अधिक ) 1.1 प्रतिशत है । जबकि जोती के क्षेत्रफल का 17.4 प्रतिशत सीमांत कृषक, 21.1 प्रतिशत लघु कृषक, 25.4 प्रतिशत अर्धमध्यम कृषक, 24.8 प्रतिशत मध्यम कृषक, तथा 11.3 प्रतिशत वृहत कृषको के अंतर्गत है । दुर्ग जिले में जोत का औसत आकार 1.51 हेक्टेयर है । जोत का औसत आकार अनुसूचित जाति में 1.21 हेक्टेयर एवं अनुसूचित जनजातियों ने आकार 1.55 हेक्टेयर है । 2000-1 की तुलना में 2005-06 की कृषि संगणना में सीमात जोत में वृद्धि एवं वृहत जोत में कमी हुई है । निराफसलो क्षेत्र सीमांत जोत में 96.6 प्रतिशत, लघु जोत में 95.2 हेक्टेयर, अर्ध मध्यम जोत में 94.0 प्रतिशत एवं मध्यम जोत में 93.2 प्रतिशत एवं वृहत जोत में 91. 2 प्रतिशत है ।
Cite this article:
बघेल एवं राजपूत (2011). दुर्ग जिले में जोत का आकार एवं कृषि प्रतिरूप. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 16(1), pp.1-10.