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Author(s): शिव नारायण

Email(s): shivnarayansri@gmail.com

Address: आई.सी.एफ.ए.आई. विश्वविद्यालय, रायपुर, छ.ग.
*Corresponding Author: shivnarayansri@gmail.com

Published In:   Volume - 29,      Issue - 1,     Year - 2023


Cite this article:
नारायण (2023). सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन. Journal of Ravishankar University (Part-A: SOCIAL-SCIENCE), 29(1), pp. 16-20. DOI



सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन

िव नारायण

आई.सी.एफ.ए.आई. विश्वविद्यालय, रायपुर, छ.ग.

 *Corresponding Author: shivnarayansri@gmail.com  

 सारांशः शोधार्थी द्वारा इस शोध अध्ययन “सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक पलब्धि का अध्ययन” में विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन किया गया है । शोधार्थी ने परिकल्पना बनायीं की दोनों वर्ग  की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि में क्या अंतर पाया जाता है । विद्यार्थियों की आकांक्षा एवं उपलब्धि में वर्ग विशेष का क्या प्रभाव पड़ता है । इन्हीं सब बातों का ध्यान रखते हुए शोधार्थी द्वारा सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन किया गया और पाया कि  सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि में कोई अंतर नहीं है । दोनों ही वर्ग के विद्यार्थियों की  शैक्षिक उपलब्धि एवं  शैक्षिक आकांक्षा सामान है । इसीलिए सभी वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि को बढ़ाने के लिए उनकी शैक्षिक आकांक्षा  को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।

 

कुंजी शब्द – समान्य वर्ग,आरक्षित वर्ग, शैक्षिक उपलब्धि, शैक्षिक आकांक्षा ।

 

परिचय

शिक्षा मनुष्य के विकास का अपरिहार्य माध्यम है । शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है । बिना शिक्षा मनुष्य का जीवन बोझिल हो जाता है । मनुष्य के जीवन में अनेक समस्याएँ  होती है उन समस्याओं को सुलझाने हेतु हमें जिस अस्त्र की आवश्यकता होती है वह शिक्षा ही है । शिक्षा सबसे बड़ा धन है जिसके द्वारा हम सब कुछ प्राप्त कर सकते है । किसी भी देश के विकास की नींव शिक्षा होती है । इसीलिए सभी देश अपने नागरिकों के लिए उत्तम शिक्षा की व्यवस्था करते है । वर्तमान में शिक्षा का उद्देश्य बालक में कला कौशल का विकास करना है । कला कौशल बालक में आत्मा विश्वास  की भावना जाग्रत कर आने वाले समय में विकास की नींव तैयार करती है । समाज के प्रत्येक स्तर के व्यक्ति को शिक्षा की आवश्यकता होती है । शिक्षा का स्तर जितना उच्च होगा वहां के नागरिक उतना ही व्यावहारिक और आत्मा विश्वासपूर्ण ढंग से अपना जीवन सफल बनायेंगे एवं राष्ट्र के विकास में अपना योग दे सकेंगे । संक्षेप में कहा जा सकता है शिक्षा वह प्रकाश है जिसके द्वारा छात्रों की शारीरिक,मानसिक,अध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है एवं जीवन को रोशनी मिलती है साथ ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक उपलब्धि के द्वार खुल जाते है ।

 सामान्य वर्ग में ब्राह्मण ,क्षत्रिय, आते है  रक्षित वर्ग में अनुसूजित जाति, अनु.,जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग  आते है । भारतीय संविधान के नीतिनिर्देशक तत्वों में आरक्षित वर्ग हेतु विशेष प्रावधानों का वर्णन किया गया है । जिन्हें पूरा करना केंद्र एवं राज्य सरकारों ने इसका विशेष ध्यान रखा है जिससे इस वर्ग का कल्याण हो सके । आरंभ में आरक्षण की व्यवस्था केवल 70 वर्षों के लिए ही थी किन्तु बाद में इसे 79वें संविधान संसोधन 1999 के  द्वारा सन 2011 तक के लिए बढ़ा दिया गया है ।

 किसी भी लक्ष्य या मूल्य आदि को प्राप्त करने की इच्छा आकांक्षा कहलाती है । आकांक्षा के लिए प्रतिदिन के जीवन में देखते है की कुछ व्यक्ति जितना कार्य कर रहे है उससे कम पाने की इच्छा प्रकट करते है । कहने का तात्पर्य है कि व्यक्ति के कार्य करने की मात्रा एवं उस कार्य को सीखने की मात्रा उसकी आकांक्षा पर आधारित होती है । व्यक्ति की आकांक्षाएं स्तर पर  आधारित होती है । उसकी  आकांक्षाएं ही उसे जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करती है । आकांक्षा आत्मिक उन्नति की शक्ति की द्योतक है। आकांक्षा वह आतंरिक शक्ति है जिसके द्वारा मनुष्य को उद्धत किया जाता है कि वह अपने उच्चतम स्वरुप को एवं सत्य अंश की ओर आत्मिक रूप से अग्रसर हो सके । शैक्षिक उपलब्धि वह संप्रत्यय है जो किसी व्यक्ति द्वारा ज्ञान के लिए किसी विशेष शाखा में दिए गए पाठ्यक्रम में अधिगम और शिक्षा जो कि निश्चित काल के लिये  ही दी जाति है जिनका प्रयोग निश्चित विद्यालयों में होता है । पढाई के समय  छात्र अनेक परीक्षाएं देता है । जो उसके पढाई को दिखाता है । शैक्षिक उपलब्धि छात्र की बुद्धि स्तर,अभिरुचि ,अभिवृत्तियों,आदतों, पर्यावरण आदि पर निर्भर करती है ।

 शोध का औचित्य

समाज की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्नति हो परन्तु समाज की उन्नति भावी राष्ट्र निर्माता अर्थात छात्र- छात्राओं की उन्नति पर ही निर्भर है । सभी वर्ग के विद्यार्थियों की कई प्रकार की समस्याएं होती है उनमें से एक समस्या विद्यार्थी की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि से सम्बंधित होती है । जिन विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा स्तर एवं शैक्षिक उपलब्धि की समस्याओं को समझना एवं उन्हें दूर करना है परन्तु आजकल विद्यार्थी अपनी कुछ समस्याओं को स्वयं ही हल कर लेता है उन्हें केवल मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है । आकांक्षा का स्तर कैसा भी हो उसके जीवन और व्यवहार में इनका महत्व कभी भी कम नहीं होता है । आकांक्षा स्तर के आधार पर शैक्षिक उपलब्धि निर्धारित होती है । जिस प्रकार एक बालक रात-दिन कड़ी मेहनत करके अच्छा नागरिक बनता है उसी प्रकार एक विद्यार्थी भी उच्च शैक्षिक उपलब्धि हेतु कड़ी मेहनत करता है । जीवन में उत्साह और प्रेरणा रखने के लिए आकाँक्षाओं का होना एवं उच्च उपलब्धि का प्रयास नितांत आवश्यक है ।

 शोधार्थी द्वारा किया गया शोध अध्ययन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण है । इस अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थियों के शैक्षिक उपलब्धि के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिससे शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करने वाले कारकों को जानकर उचित निदान कर शैक्षिक उपलब्धि को बढ़ने का प्रयास किया जायेगा । इस शोध अध्ययन के माध्यम से सभी वर्ग के विद्यार्थियों की आकाँक्षाओं को समझकर उनको उचित दिशा और पर्यावरण प्रदान कर शैक्षिक उपलब्धि को बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा । नयी और स्वस्थ सुन्दर आकांक्षाओं की उत्पति होगी।

शोध समस्या

“सामान्य वर्ग एवं अरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन”

 शोध उद्देश्य   

  किसी भी अध्ययन के अपने उद्देश्य होते है । अतः शोधार्थी द्वारा निश्चित किये गए शोध अध्ययन के उद्देश्य निम्नलिखित है –

1.        सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में अंतर का अध्ययन करना ।

2.        सामान्य वर्ग एवं अरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में अंतर का अध्ययन करना ।

 

शोध परिकल्पना

शोधार्थी द्वारा शोध कार्य के लिए निश्चित की गयी शोध परिकल्पनाएं निम्न हैं-

1.        सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में सार्थक अंतर नहीं पाया जायेगा।

2.        सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में सार्थक अंतर नहीं पाया जायेगा ।

 

शोध विधि  

शोधार्थी ने शोध अध्ययन हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया है ।

 

प्रतिचयन विधि  

शोधार्थी द्वारा शोध अध्ययन के न्यादर्श के चयन हेतु यादृच्छिक प्रतिचयन विधि का प्रयोग किया गया है ।

 शोध न्यादर्श

शोधार्थी द्वारा शोध अध्ययन में 200 छात्रों को अपने शोध कार्य में न्यादर्श के रूप में चुना गया है । जो निम्न है –

 शोध आंकड़ों का संकलन  

 “सामान्य वर्ग एवं अरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि का अध्ययन” हेतु डॉ.वी.पी.शर्मा एवं डॉ.(कु) अनुराधा गुप्ता द्वारा निर्मित शैक्षिक आकांक्षा मापनी से प्रदत्तों का संकलन किया गया है । शैक्षिक उपलब्धि के मापन हेतु विद्यार्थियों के 10वीं कक्षा के प्राप्तांक प्रतिशत को लिया गया है

 आंकड़ों का विश्लेषण

शोधार्थी ने अपने शोध अध्ययन के लिए निश्चित की गयी परिकल्पनाओं के परीक्षण के लिए  आंकड़ों का विश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से किया है –

1.        H1- परिकल्पना H1 के लिए आंकड़ों का विश्लेषण शोध अध्ययन के उद्देश्य ‘सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में अंतर का अध्ययन करना’ के लिए शोधार्थी द्वारा “सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में सार्थक अंतर नहीं पाया जायगा” नामक परिकल्पना का निर्माण किया गया जिसके सांख्यकीय विश्लेषण के आधार पर निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए है –

                                    

तालिका 1. सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा

क्र.      

तुलनात्मक समूह 

विद्यार्थियों की संख्या

मध्यमान

प्रमाणिक विचलन

टीमूल्य

1

सामान्य वर्ग

100

24.49

5.01

0.2

2

आरक्षित वर्ग

100

23.9

5.02

 

df=198        P>.01       सार्थकता स्तर .01

 

उपर्युक्त परिकल्पना की पुष्टि के लिए तालिका से स्पष्ट है कि सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा का मध्यमान 24.49 तथा प्रमाणिक विचलन 5.01 प्राप्त हुआ है । आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा का मध्यमान 23.90 तथा प्रमाणिक विचलन 5.02 प्राप्त हुआ । दोनों समूहों के मध्य का ‘टी’ मूल्य .20 है जो df =1.98  पर .01 स्तर पर सार्थक है । अतः परिकल्पना स्वीकृत होती है । इससे यह निष्कर्ष निकलता है की सामान्य वर्ग एवं  आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में अंतर नहीं है ।

 

2.        H2 - परिकल्पना H2 के लिए आकड़ों का विश्लेषण शोध अध्ययन के उद्देश्य ‘सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में अंतर का अध्ययन करना’ के लिए शोधेर्थी द्वारा “सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में सार्थक अंतर नहीं पाया जायेगा” नामक परिकल्पना का निर्माण किया गया जिसके सांख्यकीय विश्लेषण के आधार पर निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए है –

                                      

तालिका 2. सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि

           क्र.      

तुलनात्मक समूह 

विद्यार्थियों की संख्या

मध्यमान

प्रमाणिक विचलन

टीमूल्य

1

सामान्य वर्ग

100

57.2

13.64

0.3

2

आरक्षित वर्ग

100

57.74

11.72

 

                       df =198           P > .01                सार्थकता स्तर .01

 

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि का मध्यमान 57.20 तथा प्रमाणिक विचलन 13.64 प्राप्त हुआ और आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि का मध्यमान 57.74 तथा प्रमाणिक विचलन 11.72 प्राप्त हुआ । दोनों समूहों के मध्य का ‘टी’मूल्य .30 प्राप्त हुआ जो df=198 पर .01 स्तर पर सार्थक है । अतः यह परिकल्पना स्वीकृत होती है । इससे यह निष्कर्ष निकलता है की सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में अंतर नहीं  है ।

 

निष्कर्ष 

1.       सामान्य वर्ग एवं  आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षा में कोई अंतर नहीं है।

2.       सामान्य वर्ग एवं आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि में कोई अंतर नहीं है।

 

सुझाव-  इस शोध अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि सभी विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षाएं एवं शैक्षिक उपलब्धि समान रूप से होती है उनमें कोई अंतर नहीं होता है । अतः विद्यार्थियों के साथ समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए । जिसके लिए निम्न उपाय किये जा सकते है –

1.       विद्यार्थियों को जीवन संघर्ष के योग्य बनाना चाहिए ताकि वे अपनी शैक्षिक आकाँक्षा एवं शैक्षिक उपलब्धि को सुदृढ़ बना सकें |

2.       शालेय वातावरण इस प्रकार का हो ताकि सभी विद्यार्थियों को एक समान वातावरण प्राप्त हो ।

3.       शिक्षित पालक इस बात का विशेष ध्यान रखें की वे पल्य को अध्ययन में सहयोग दें ताकि उनकी आकांक्षा एवं उपलब्धि में सामंजस्य बना रहे ।

4.       पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार के खेल इत्यादि का संगठन विद्यालयों के अंतर्गत किया जाये जिससे वे अपनी आकाँक्षाओं के अनुकूल भाग ले सकें ।

5.       सभी विद्यार्थियों की शैक्षिक आकांक्षाएं एवं शैक्षिक उपलब्धि समान होती है अतः आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को भी शिक्षा के समान अवसर दिए जाये ।

   सन्दर्भ ग्रन्थ सूची


1.           ए.बी.जे.ओ.(1970) :           नाइजीरिया किशोरों का शैक्षणिक एवं व्यवसायिक अध्ययन, जनरल ऑफ़                                     

            एजुकेशन एंड वोकेशनल मेनेजमेंट-462 अगस्त वाल्यूम 4/1 ।

2.           बुच एम.बी.:         सेकण्ड सर्वे आफ रिसर्च एंड एजुकेशन इनसाइक्लोपीडिया 19 72-78

3.           भटनागर सुरेश (2012):        शिक्षा मनोविज्ञान, आर.लाल.बुक डिपो,आगरा ।

4.           भटनागर मीनाक्षी: मनोविज्ञान और शिक्षा में मापन एवं मूल्यांकन,आर.लाल.बुक डिपो,आगरा ।

5.           महेश भार्गव (1962):           आधुनिक मनोविज्ञान परीक्षण  एवं मापन ,प्रकाशक हर प्रसाद भार्गव 4/ 230

           कचहरी घाट आगरा । 

6.       कपिल एच.के. (1978):         सांख्यकी के मूल तत्व , विनोद पुस्तक मंदिर आगरा |

7.       गौड़ एच.सी.(1973):            दिल्ली के विद्यालय के छात्रों का शैक्षिक आकाँक्षाओं को प्रभावित करने वाले                     
                                                    कारकों का अध्ययन ।

                      



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