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व्यास नारायण दुबे (1993). छत्तीसगढ़ी की एक जनजातीय बोली : पंडो. Journal of Ravishankar University (Part-A: Science), 6(1), pp. 23-30.
छत्तीसगढ़ी की एक जनजातीय बोली : पंडो
व्यास
नारायण दुबे
व्याख्याता,
भाषाविज्ञान अध्ययनशाला
पं
रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर
आलेख प्राप्त
२ ९ . ९ . ९ २
सार संक्षेप :
मध्यप्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में हिंदी की बोली छत्तीसगढ़ी का व्यवहार होता
है. विस्तृत भू -भाग में प्रसरित होने के कारण छत्तीसगढ़ी की अनेक उपबोलियाँ उभर
कर सामने आई है. इस शोध-पत्र में उन में से एक जनजातीय-वर्ग का प्रतिनिधित्व करने
वाली पंडो का संक्षिप्त अध्ययन प्रस्तुत किया गया है. यह छत्तीसगढ़ के उत्तर
-पश्चिमी क्षेत्र के जंगली एवं पहाड़ी प्रक्षेत्र में रहने वाली एक जनजाति है. इस
की बोली का नामकरण भी इन की जनजातीय पहचान के अनुरूप पंडो ही है. इस शोध -पत्र के
अंतर्गत छत्तीसगढ़ी एवं पंडो का सामान्य परिचय, जनजातीय
स्वरूप एवं पंडो के कतिपय भाषीक लक्षणों
को हिंदी तथा छत्तीसगढ़ी के साथ तुलना करते हुए निष्क"kZ
को प्रस्तुत किया गया है.
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